नई दिल्ली, 30 मई 2025:
भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ़ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने रक्षा क्षेत्र में हो रही देरी पर गंभीर चिंता जताई है। गुरुवार को एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि भारत के रक्षा प्रोजेक्ट समय पर पूरे नहीं हो रहे हैं और इस स्थिति में बदलाव की सख्त ज़रूरत है।
एयर चीफ़ मार्शल सिंह ने कहा, “ऐसा एक भी प्रोजेक्ट नहीं है जो तय समय पर पूरा हुआ हो। जब हम किसी डिफेंस डील पर साइन करते हैं, तभी हमें पता होता है कि वह समय पर पूरा नहीं होगा।”
उन्होंने ‘मेक इन इंडिया’ से आगे बढ़कर ‘डिज़ाइन इन इंडिया’ पर जोर दिया और कहा कि अब वक्त है कि भारत रक्षा तकनीक की सिर्फ मैन्युफैक्चरिंग ही नहीं, बल्कि डिज़ाइनिंग और डेवलपमेंट का काम भी अपने देश में करे।
घरेलू रक्षा निर्माण पर सवाल
भारत लंबे समय से आधुनिक स्टेल्थ फाइटर जेट्स की कमी से जूझ रहा है। हाल ही में सरकार ने स्वदेशी स्टेल्थ फाइटर बनाने के लिए मंज़ूरी दी है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इसमें अभी लंबा वक्त लग सकता है।
हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) से 83 तेजस MK1A और 70 HTT-40 ट्रेनर विमानों की डिलीवरी में हो रही देरी इसका उदाहरण है।
पूर्व वायुसेना प्रमुख का समर्थन
पूर्व वायुसेना प्रमुख एयर चीफ़ मार्शल वीआर चौधरी (रिटायर्ड) ने भी इस बयान का समर्थन करते हुए कहा, “जिनसे आप काम का ऑर्डर देते हैं, उनसे ठोस आश्वासन लेना चाहिए। अगर समय पर जानकारी दे दी जाती कि डिलीवरी संभव नहीं है, तो वैकल्पिक रास्ते अपनाए जा सकते थे।”
रक्षा विशेषज्ञों की राय
रक्षा मामलों के जानकार राहुल बेदी ने बताया कि भारत में डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट्स की प्रक्रिया लंबी और जटिल होती है, जिससे हर चरण में देरी होती है। उन्होंने कहा कि औसतन एक रक्षा प्रोजेक्ट को पूरा होने में 7 से 10 साल लगते हैं।
उन्होंने उदाहरण दिया कि एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) का पहला प्रोटोटाइप 2035 तक आएगा और उसके बाद भी उत्पादन में तीन साल लगेंगे।
वायुसेना में लड़ाकू विमानों की कमी
राहुल बेदी के अनुसार, भारतीय वायुसेना को 42 स्क्वाड्रन की ज़रूरत है लेकिन फिलहाल सिर्फ 30 स्क्वाड्रन हैं। अगले कुछ वर्षों में इनमें से कुछ स्क्वाड्रन रिटायर हो जाएंगी जिससे यह संख्या और घट सकती है।
क्यों है यह बयान अहम?
भारत ने 2018-19 में 114 लड़ाकू विमानों के लिए प्रस्ताव दिया था लेकिन अभी तक उस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। एयर चीफ़ मार्शल का यह बयान इस निराशा को दर्शाता है कि भारत को अपनी रक्षा तैयारियों को लेकर अधिक गंभीर और तेज़ होना पड़ेगा।
निष्कर्ष
एयर चीफ़ मार्शल अमर प्रीत सिंह का बयान भारत की रक्षा रणनीति के लिए चेतावनी है। स्वदेशी निर्माण को बढ़ावा देने की बात तो बहुत होती है लेकिन जब तक उसे ज़मीन पर तेजी से लागू नहीं किया जाता, तब तक देश की सुरक्षा तैयारियों पर सवाल उठते रहेंगे।