Sunday, August 10, 2025
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बागेश्वर बाबा और चमत्कारों का सच: अंधविश्वास बनाम वैज्ञानिक सोच

भारत देश में धर्म और आध्यात्म का एक अद्भुत इतिहास रहा है। यहाँ संतों, पीरों और महात्माओं को समाज ने हमेशा श्रद्धा दी है। लेकिन, जब आस्था अंधविश्वास बन जाती है, तो यही भावना लोगों को ठगने का ज़रिया बन जाती है। इन दिनों पूरे देश में एक नए बाबा, ‘बागेश्वर बाबा’ यानी धीरेन्द्र शास्त्री, का नाम हर जगह चर्चा का विषय बना हुआ है। चमत्कारी शक्तियों, दैवीय इलाज, भीड़ में नाम पता बता देने की कला और विवादित भाषण, इस बाबा की पहचान बन चुकी है।

बागेश्वर बाबा कौन हैं?

धीरेन्द्र शास्त्री का असली नाम धीरेन्द्र कृष्ण गर्ग है, महज 26 साल के इस युवा बाबा ने मध्यप्रदेश के एक छोटे से गाँव से अपने करियर की शुरुआत की। बागेश्वर धाम नामक आश्रम में हर रोज हज़ारों लोग आते हैं। उनकी ख्याति ऐसे बाबा के रूप में बनी, जो लोगों की परेशानियाँ चुटकियों में ‘जान’ लेते हैं और समाधान भी वैसे ही अद्भुत तरीके से सुझा देते हैं।

उनके दरबार में लोग अपने दुख–दर्द को एक पर्ची पर लिखकर बाबा के सामने रखते हैं और फिर बाबा बिना देखे, बिना पूछे, उनका पूरा भूत–भविष्य बता देते हैं। उनके दरबार में कई बार भूत-प्रेत निकालने के नाटक, चमत्कारी इलाज, और इलाज के नाम पर देसी कलाकारी करते बाबा नजर आते हैं। रोगों के निदान के लिए गोमूत्र, हल्दी, देशी घी जैसे घरेलू नुस्खे और ‘आशीर्वाद’ को रामबाण दावा जाता है। लोग बाबा के चरणों में गिरते और उनसे ‘शक्तिशाली’ समाधान पाते हुए कैमरे में कैद होते हैं।

विवादों का सिलसिला

धीरेन्द्र शास्त्री पर विवादों की कोई कमी नहीं। उनके कुछ भाषणों में खुलेआम साम्प्रदायिक हिंसा भड़काने के आरोप लगे, जैसे हिंदुओं को एकजुट होकर पत्थरबाजों के घरों पर बुलडोजर चलाने के लिए भड़काना, खुद को ‘ढाबा’ (बाबा नहीं) कह कर मज़ाक उड़ाना, या फिर कथित छुआछूत की घटनाएँ—जिनमें बाबा कुछ अनुयायियों को छूने से मना करते दिखाई देते हैं। इन वीडियो फुटेज के सार्वजनिक होने के बाद भी प्रशासन की तरफ़ से कोई कड़ी कार्यवाही नहीं हुई।

नागपुर की घटना: चमत्कार बनाम चुनौती

जनवरी 2023 में बागेश्वर बाबा नागपुर में रामकथा सुनाने पहुँचे। यहीं पर श्याम मानव (महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति) की टीम ने उनके “चमत्कारी दरबार” पर रिसर्च की।

श्याम मानव की चुनौती:

  • दस अंजान लोगों का नाम, उम्र, पिता का नाम और मोबाइल नंबर बंद कमरे में पहचानना
  • दूसरे कमरे में रखी 10 वस्तुओं की शिनाख्त करना, बिना कोई पहले से सूचना मिले
    अगर बाबा 90% सही उत्तर देते, उन्हें ₹30 लाख मिलते, वरना श्याम मानव को उनकी शरण में जाना पड़ता।

बाबा का जवाब?:
बैठक से एक दिन पहले ही बाबा ने कार्यक्रम छोड़ दिया, और श्याम मानव को रायपुर या बागेश्वर धाम आने की चुनौती दे डाली। इस घटनाक्रम के बाद दोनों पक्षों को धमकियाँ भी मिलीं; श्याम मानव की सुरक्षा बढ़ाई गई, जबकि बाबा के परिवार ने भी ऐसी धमकियों का जिक्र किया।

अंधविश्वास का हर जगह बोलबाला

भारत में केवल बागेश्वर बाबा या हिंदू धर्म ही नहीं, हर पंथ में ऐसे फर्जी ‘चमत्कारी’ प्रचारक मौजूद हैं।

  • ईसाई धार्मिक कार्यक्रमों में: भीड़ के सामने चमत्कार दिखाकर, अंधों को दिखाई देने, लंगड़ों को चलने या असम्भव रोगों के ठीक हो जाने का नाटक; बाजिंदर सिंह जैसे लोग लाखों अनुयायी पाते हैं।
  • मुस्लिम बाबाओं की भी लंबी सूची है, जो शर्तिया इलाज, झाड़-फूंक, या औलाद दिला देने का दावा करते हैं।
  • कुछ गिरिजाघरों में पादरी द्वारा गुप्त सूचना (Secret Confession) का दुरुपयोग, जिसे बाद में ब्लैकमेलिंग के लिए इस्तेमाल किया गया।
  • मशहूर फिल्म ‘Trance’ ने भी इस पूरे सर्कस का पर्दाफाश किया है।

आस्था बनाम वैज्ञानिक सोच

लोग आखिर क्यों बार–बार ऐसे बाबाओं के झाँसे में फँस जाते हैं?

  • भारत में लाखों पढ़े–लिखे, अच्छे पदों पर काम करने वाले लोग भी इन बाबाओं के भक्त बन जाते हैं।
  • शिक्षा व्यवस्था में आलोचनात्मक सोच, तर्कपूर्ण दृष्टिकोण कभी नहीं सिखाया जाता, बस अंधानुकरण कराया जाता है।
  • काउंसलर या मनोवैज्ञानिक को डॉक्टर समझना यहाँ सामान्य नहीं, लोग अपनी भावनात्मक समस्या, घरेलू कलह, बुरी आदतें, बीमारी आदि का समाधान चमत्कारी आशा में ढूँढते हैं।
  • आस्था (Faith) का मतलब है – बिना सोचे, बिना जाँच-पड़ताल के मान लेना।

शुद्ध जादू या धोखाधड़ी?

जैसे एक स्क्रिप्टेड शो में जादूगर ऑडियंस के सामने ‘मन पढ़ने’ का चमत्कार दिखाते हैं, वहीं बाबा इस रूटीन को परमात्मा की शक्ति बता देते हैं। करण सिंह Magic, सुहानी शाह, जेम्स रैंडी जैसे जादूगर आज भी इन ‘फर्जी’ चमत्कारों की पोल खोलते हैं। जेम्स रैंडी ने तो $1 मिलियन का Paranormal Challenge चला रखा था – 40 साल में कोई बाबा, तांत्रिक, फकीर उसे जीत नहीं सका।

अपराध और बाबाओं की लिस्ट

2017 में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने 14 फर्जी बाबाओं की लिस्ट जारी की – आसाराम, राम रहीम, नित्यानंद, राधे माँ, गुरमीत, तथाकथित ‘इंग्लिश स्पीकिंग’ बाबाओं तक। देश की अदालतें ऐसे बाबाओं के बलात्कार, शोषण, हत्या, धोखाधड़ी जैसे मामलों की गवाह रही हैं।

समाज को चाहिए — जागरुकता, शिक्षा, और तर्क

  • असली गुरु, संत या फकीर कभी धर्म के नाम पर हिंसा या डर नहीं फैलाते, न ही अमीर बनने का तरीका बताते हैं।
  • धार्मिक आदर्शों में संत–महात्मा कभी पैसे या प्रसिद्धि के लिए चमत्कार नहीं करते थे – उनका उद्देश्य समाज की भलाई, नैतिकता, ज़िंदगी की सच्चाई को सिखाना था।
  • अगर कोई व्यक्ति असल में चमत्कार दिखा सकता है – देश के अस्पताल व सरकार तो उत्सुक होंगी उनकी विधि जानने, पर हकीकत अलग ही है।
  • नकली चमत्कार समाज को पीछे ले जाता है, अपराधियों और ठगों को बढ़ावा देता है, देश की वैज्ञानिक छवि को ध्वस्त करता है।

निष्कर्ष

बाबाओं, चमत्कारों, और अंधविश्वास की ये समस्या केवल किसी धर्म–समुदाय तक सीमित नहीं। देश का हर नागरिक इस मकड़जाल में फँस सकता है।

अब हमारा दायित्व है:

  • तर्कशील सोच अपनाएँ,
  • हर दावे के सबूत माँगें,
  • शिक्षा प्रणाली में वैज्ञानिक सोच को महत्व दें,
  • और मुश्किल हालात में निष्पक्ष विशेषज्ञ या काउंसलर की मदद लें,
  • फर्जी बाबाओं, चमत्कारों और अफवाहों से बचें, दूसरों को भी जागरुक करें।

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अगर आपको किसी विषय पर और विस्तार चाहिए या अन्य प्रामाणिक उदाहरण चाहिए, तो कृपया बताएं!

धन्यवाद!

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