परिचय: आत्मनिर्भर भारत की नई छलांग
31 जुलाई 2025 को भारतीय नौसेना में एडवांस्ड स्टील्थ फ्रिगेट ‘हिमगिरी’ को शामिल किया गया, जिससे भारत की समुद्री शक्ति और युद्ध क्षमता में ऐतिहासिक इजाफा हुआ है। हिमगिरी का निर्माण गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE), कोलकाता में हुआ है और यह प्रोजेक्ट 17A के तहत तैयार नीलगिरि-श्रेणी का तीसरा युद्धपोत है। यह परियोजना स्वदेशी तकनीक, डिज़ाइन और निर्माण का बेहतरीन उदाहरण है, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में मजबूत कदम है।
प्रोजेक्ट 17A: भविष्य की युद्ध तकनीक का आधार
प्रोजेक्ट 17A के तहत कुल 7 अत्याधुनिक स्टील्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट्स बनाए जा रहे हैं। इनका उद्देश्य भारतीय नौसेना को सतह, हवा और पनडुब्बी खतरों—तीनों से लड़ने की बहु-आयामी क्षमता देना है। इनमें निम्नलिखित अत्याधुनिक विशेषताएँ शामिल हैं:
- कम रडार सिग्नेचर (Low RCS) के साथ स्टील्थ डिज़ाइन।
- डिजिटल और इंटीग्रेटेड प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम, जिससे संचालन और रखरखाव आसान होता है।
- मॉड्यूलर कंस्ट्रक्शन की वजह से तेज निर्माण और भविष्य में अपग्रेड की सुविधा।
- 75% तक स्वदेशी पार्ट्स और उपकरणों का इस्तेमाल, जिससे देशी रक्षा उद्योग को मजबूती मिलती है।
हिमगिरी की विस्तृत तकनीकी विशेषताएँ
आकार और परफॉर्मेंस
- लंबाई: 149 मीटर
- वजन: 6,670 टन
- गति: 28-32 नॉटिकल मील प्रति घंटा
- क्रू क्षमता: लगभग 225 नौसैनिक
हथियार और युद्धक क्षमता
- मिसाइल सिस्टम:
- सतह और जहाज-रोधी क्षमता के लिए ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल
- वायु सुरक्षा के लिए बराक-8 मिडियम रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल
- मुख्य गन: 76mm ऑटोमैटिक गन
- क्लोज-इन वेपन: 30mm और 12.7mm रैपिड-फायर गन्स
- पनडुब्बी रोधी (एंटी-सबमरीन) क्षमता:
- वरुणास्त्र टॉरपीडो लॉन्चर
- एंटी-सबमरीन रॉकेट लॉन्चर
- ताकतवर सोनार सिस्टम
इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर और रडार
- एडवांस्ड मल्टी-फंक्शन डिटेक्टिंग रडार, जो लंबी दूरी पर भी खतरे को पहचान सकता है।
- इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट, जिससे मिसाइल वॉर्निंग, जैमिंग और सिग्नल इंटेलिजेंस संभव है।
- डिजिटल कम्युनिकेशन सिस्टम और कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम।
एयर ऑपरेशन व क्षमता
- डेक पर दो हेलीकॉप्टरों के ऑपरेशन की सुविधा और हैंगर, जिससे पनडुब्बी रोधी व कई सैन्य अभियान संभव हैं।
निर्माण में स्वदेशी योगदान
- करीब 75 प्रतिशत भाग और सिस्टम भारत की घरेलू कंपनियों और MSMEs द्वारा निर्मित हैं।
- युद्धपोतों के निर्माण से हजारों लोगों को रोजगार मिला और डिफेंस सेक्टर में देश की आत्मनिर्भरता बढ़ी है।
- सभी फ्रिगेट्स का डिज़ाइन नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा विकसित है।
प्रोजेक्ट 17A जहाजों की विशिष्ट श्रृंखला
हिमगिरी, नीलगिरि-श्रेणी के सात जहाजों में से तीसरा है। सभी का नाम भारत की प्रमुख पर्वत श्रृंखलाओं पर रखा गया है: शिवालिक, सतपुड़ा, नीलगिरि, हिमगिरी, तारागिरि, उदयगिरि, दूनागिरि, महेंद्रगिरि और विंध्यगिरि। हिमगिरी के अलावा INS नीलगिरि और उदयगिरि पहले ही नौसेना में शामिल हो चुके हैं।
रणनीतिक और वैश्विक महत्त्व
हिमगिरी की डिलीवरी के साथ भारत न केवल अपनी समुद्री सुरक्षा मजबूत कर रहा है, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी सैन्य मौजूदगी और कूटनीतिक शक्ति भी बढ़ा रहा है। आधुनिक तकनीक, स्वदेशीकरण और बहु-आयामी हथियारों के मिश्रण के साथ, ये युद्धपोत भारतीय नेवी को वैश्विक स्तर पर और अधिक सशक्त बनाते हैं।
निष्कर्ष
‘हिमगिरी’ का भारतीय नौसेना में शामिल होना सिर्फ एक जहाज की डिलीवरी नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत, नवाचार और रणनीतिक मजबूती की ऐतिहासिक उपलब्धि है। अत्याधुनिक हथियार, सेंसर, गुप्त डिजाइन और बहुमुखी क्षमता के साथ हिमगिरी भारतीय नौसेना को 21वीं सदी की समुद्री चुनौतियों के लिए पूरी तरह तैयार करता है।