नमस्कार दोस्तों, हाल ही में मोदी सरकार ने देशभर में अचानक से E20 फ्यूल (Ethanol Blended Petrol) रोल आउट कर दिया है। इस फ्यूल में 80% पेट्रोल और 20% इथेनॉल होता है। सुनने में यह कदम पर्यावरण और किसानों के लिए अच्छा लगता है, लेकिन आम जनता के लिए यह एक बड़ी समस्या बन गया है।
लोगों की सबसे बड़ी शिकायत यह है कि उन्हें कोई विकल्प नहीं दिया गया। चाहे आपकी गाड़ी E20 कंप्लायंट हो या नहीं, आपको मजबूरी में यही पेट्रोल डलवाना पड़ेगा।
E20 Fuel क्या है?
- E20 मतलब 80% पेट्रोल + 20% इथेनॉल।
- इथेनॉल वही अल्कोहल है जो गन्ना, मक्का और चावल जैसी फसलों से बनाया जाता है।
- इसे पेट्रोल में मिलाने से पॉल्यूशन कम होता है और क्रूड ऑयल इंपोर्ट पर निर्भरता घटती है।
E20 Fuel लाने के पीछे सरकार का तर्क
सरकार के मुताबिक E20 फ्यूल से तीन बड़े फायदे हैं:
- पर्यावरण को लाभ – रिसर्च बताती है कि E20 से 30% कम कार्बन एमिशन होता है।
- क्रूड ऑयल इंपोर्ट पर बचत – 2014 से अब तक भारत ने 1.36 लाख करोड़ रुपये की बचत की है।
- किसानों की आय में बढ़ोतरी – गन्ना और मक्का से इथेनॉल बनने की वजह से किसानों को अब तक 1.18 लाख करोड़ रुपये का फायदा हुआ है।
लेकिन जनता क्यों नाखुश है?
जैसे ही देशभर में E20 रोल आउट हुआ, सोशल मीडिया पर शिकायतें आने लगीं।
- गाड़ियों का माइलेज घटा – लोग कह रहे हैं कि उनकी गाड़ी का माइलेज 20–40% तक कम हो गया है।
- इंजन और पार्ट्स खराब होने लगे – कई गाड़ियों का कार्बोरेटर, फ्यूल पंप और रबर पार्ट्स खराब हो रहे हैं।
- वारंटी और इंश्योरेंस का खतरा – कई कंपनियों ने पहले कहा था कि E20 इस्तेमाल करने पर वारंटी खत्म हो सकती है। इंश्योरेंस कंपनियां भी नुकसान कवर करने से पीछे हट रही हैं।
क्यों हो रहा है ऐसा?
- इथेनॉल पेट्रोल से 30% कम एनर्जी देता है, इसलिए माइलेज गिर जाती है।
- E20 फ्यूल पानी को अपनी तरफ खींचता है, जिससे फ्यूल टैंक और इंजन में जंग लगने की संभावना बढ़ती है।
- देश की ज्यादातर गाड़ियां अभी भी E5 या E10 कंप्लायंट हैं। E20 कंप्लायंट गाड़ियां सिर्फ 2023 से बननी शुरू हुई हैं।
गाड़ियों के मालिकों का गुस्सा
36,000 लोगों पर हुए एक सर्वे के मुताबिक:
- 67% लोगों ने कहा कि उनकी गाड़ी का माइलेज घट गया है।
- 44% ने कहा कि माइलेज 10% से ज्यादा गिरा है।
- कुछ लोगों ने तो बताया कि उनकी गाड़ी का माइलेज 40% तक गिर गया।
ब्राजील का उदाहरण और भारत की हकीकत
सरकार बार-बार कहती है कि ब्राजील में तो E27 (27% इथेनॉल) इस्तेमाल हो रहा है।
लेकिन फर्क यह है कि ब्राजील ने यह प्रोसेस धीरे-धीरे और 40 सालों में किया।
भारत ने सिर्फ 3 साल में E10 से E20 पर छलांग लगा दी – बिना लोगों को तैयारी का समय दिए।
क्या है विवाद और राजनीति?
E20 फ्यूल को लेकर करप्शन और कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट की बातें भी सामने आई हैं।
- नितिन गडकरी के परिवार के शुगर प्लांट्स इथेनॉल बिजनेस में शामिल हैं।
- उनके बेटों की कंपनियां करोड़ों लीटर इथेनॉल बना रही हैं और तेजी से मुनाफा कमा रही हैं।
- शेयर मार्केट में इन कंपनियों के दाम आसमान छू रहे हैं।
इससे लोगों का मानना है कि E20 फ्यूल का सबसे बड़ा फायदा नेताओं और उनके परिवारों को हो रहा है, जबकि नुकसान आम जनता को उठाना पड़ रहा है।
जनता का सबसे बड़ा सवाल
सरकार ने कहा था कि इथेनॉल से पेट्रोल सस्ता होगा।
- 2018 में ₹55 प्रति लीटर पेट्रोल का वादा हुआ।
- 2023 में ₹15 प्रति लीटर पेट्रोल का दावा किया गया।
लेकिन हकीकत यह है कि E20 पेट्रोल उतना ही महंगा है, बल्कि माइलेज कम होने से लोगों का खर्च और बढ़ गया है।
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👉 पूरा आर्टिकल पढ़ेंनिष्कर्ष
E20 फ्यूल लाना सरकार की नजर में पर्यावरण और किसानों के लिए एक बड़ी जीत है।
लेकिन हकीकत यह है कि आम जनता के लिए यह कदम परेशानी और खर्च बढ़ाने वाला साबित हो रहा है।
लोगों का कहना है कि अगर सरकार वाकई जनता का भला चाहती है, तो:
- E20 फ्यूल सस्ता करना चाहिए।
- पुरानी गाड़ियों को E20 कंप्लायंट बनाने के लिए सब्सिडी देनी चाहिए।
- गाड़ियों की वारंटी और इंश्योरेंस क्लियर होना चाहिए।
वरना यह कदम देश के लिए तो सही होगा, लेकिन जनता की जेब और गाड़ियों के लिए बहुत भारी पड़ सकता है।