Sunday, August 10, 2025
spot_img
HomeUncategorizedभारत की नई स्टील नीति से नेपाल और चीन दोनों को झटका, स्टील कारोबारियों में हड़कंप

भारत की नई स्टील नीति से नेपाल और चीन दोनों को झटका, स्टील कारोबारियों में हड़कंप

भारत सरकार द्वारा स्टील के कच्चे माल के आयात पर भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) सर्टिफिकेशन अनिवार्य किए जाने से नेपाल और चीन दोनों ही देशों के स्टील उद्योगों में बड़ी हलचल मच गई है। यह कदम भारत की घरेलू इंडस्ट्री को संरक्षण देने और ‘चीन के रास्ते’ को बंद करने के इरादे से उठाया गया है, लेकिन इसका सीधा असर नेपाल की अर्थव्यवस्था और वहां के हजारों व्यापारियों एवं कर्मचारियों पर पड़ा है।

BIS सर्टिफिकेशन के नए नियम क्या हैं?

अब तक सिर्फ तैयार स्टील उत्पादों पर ही BIS के मानकों का पालन जरूरी था, लेकिन अब यह व्यवस्था कच्चे स्टील और इस्पात के आयात पर भी लागू होगी। मतलब, अब कोई भी स्टील का उत्पाद भारत में तभी बिक सकेगा जब उसमें उपयोग हुआ कच्चा माल BIS द्वारा प्रमाणित होगा या फिर भारतीय मूल का होगा।

नेपाल के स्टील उद्योग पर संकट के बादल

नेपाल लंबे समय से चीन से सस्ता कच्चा स्टील आयात करता रहा है और उसी कच्चे माल से बर्तन, तार, पाइप और अन्य वस्तुएं तैयार कर भारत को निर्यात करता है। लेकिन भारत की नई नीति के कारण नेपाल की तमाम कंपनियों, जैसे- भिस्टार ग्लोबल प्रा. लि. और पंचकन्या स्टील, की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
भिस्टार ग्लोबल प्रा. लि. के मुताबिक पहले वह हर महीने करीब 400 टन रसोई के बर्तनों का उत्पादन करती थी, मगर अब यह घटकर 20-30 टन रह गया है। इसके अलावा कंपनी के पास तैयार किए गए करीब 200 टन प्रोडक्ट्स का माल गोदाम में फंसा हुआ है क्योंकि भारतीय बाजार में इसकी मांग नहीं रही।

नेपाल के एक्सपोर्टर्स का कहना है कि यह फैसला उनकी आजीविका पर सीधा प्रहार है। हजारों मजदूरों को छंटनी का डर सता रहा है और संस्थानों का प्रोडक्शन लगभग ठप-सा हो गया है।

भारत-चीन तनाव और नेपाल का दोगुना नुकसान

भारत और चीन के बीच पिछले कुछ वर्षों में व्यापार और सीमा विवाद के चलते टकराव बढ़ा है। इसी क्रम में भारतीय सरकार ने चीनी एप्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और अब स्टील के आयात को कड़ा कर दिया है। नेपाल के निर्यातक अब चीनी कच्चा माल काम में नहीं ला सकते, क्योंकि वह भारत में नहीं बिकेगा। दूसरी तरफ यदि वे भारतीय कच्चा माल खरीदें तो उनकी लागत बढ़ जाती है, जिससे वे व्यापार में प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाते और एक्सपोर्ट घटता जा रहा है। इस बीच, चीन को भी भारत के बड़े मार्केट तक नेपाल के जरिये पहुंचने का रास्ता बंद हो गया है।

नेपाल के उद्योगों पर आर्थिक संकट

नेपाल के कई उद्योग भारत के बाजार पर ही निर्भर हैं। BIS के नए नियमों से न केवल उनका उत्पादन घटा है बल्कि उनके लिए व्यापारिक लागत भी बढ़ गई है। छोटे और मझोले उद्योगों की हालत सबसे अधिक खराब है, क्योंकि वे भारतीय कच्चा माल खरीदने की स्थिति में नहीं हैं और उनका स्टॉक निर्यात नहीं हो पा रहा है।

भविष्य में कई कंपनियों के बंद होने, रोजगार पर संकट और नेपाल की अर्थव्यवस्था में गिरावट की आशंका हैं। यही वजह है कि नेपाल के उद्यमी और सरकार दोनों इस नियम को लेकर चिंता में हैं और भारत से कुछ राहत की उम्मीद भी जता रहे हैं।

भारत के हित और घरेलू उद्योग की सुरक्षा

भारत का तर्क है कि इस कदम से घरेलू स्टील निर्माता मजबूत होंगे, बाजार में गुणवत्ता बेहतर होगी और चीन की सस्ती और कई बार घटिया सामग्रियों की घुसपैठ पर भी रोक लगेगी। यह फैसला आत्म निर्भर भारत (आत्मनिर्भर भारत) की नीति को आगे बढ़ाने का बड़ा कदम है। साथ ही, इससे राष्ट्रीय सुरक्षा के नजरिए से भी भारत को लाभ मिलेगा क्योंकि स्टील जैसे रणनीतिक क्षेत्र में विदेशी निर्भरता कम होगी।

निष्कर्ष

भारत के BIS प्रमाणन के नियम स्टील इंडस्ट्री में बड़े बदलाव का संकेत हैं। नेपाल और चीन दोनों ही देशों के लिए लंबी अवधि में यह बड़ा नुकसान है जबकि भारत के उद्योगों को इससे अप्रत्यक्ष लाभ मिल सकता है। फिलहाल नेपाल के स्टील कारोबारियों व मज़दूरों के लिए परिस्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण बनी हुई है और वे व्यापार की नई राह खोजने को मजबूर हैं।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img

Most Popular