तेहरान/न्यूयॉर्क | ईरान मिलिट्री-ग्रेड यानी 60% शुद्धता वाले यूरेनियम का स्टॉक तेजी से बढ़ा रहा है, जिससे वह परमाणु हथियार बनाने के बेहद करीब पहुंच गया है। यह दावा संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था IAEA ने अपनी एक गोपनीय रिपोर्ट में किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, 17 मई तक ईरान के पास करीब 408.6 किलो 60% शुद्ध यूरेनियम मौजूद था, जो फरवरी की तुलना में 50% अधिक है। IAEA प्रमुख राफेल ग्रोसी ने चेतावनी दी है कि ईरान के पास कई परमाणु बमों के लिए पर्याप्त यूरेनियम मौजूद है।
IAEA ने कहा है कि यदि ईरान 60% वाले करीब 42 किलो यूरेनियम को और अधिक शुद्ध करता है, तो उससे एक परमाणु बम बन सकता है। ज्ञात हो कि 90% शुद्धता वाला यूरेनियम ही हथियार बनाने लायक होता है।
परमाणु समझौते पर फिर से बातचीत जारी
यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब अमेरिका और ईरान के बीच 2015 के परमाणु समझौते को फिर से बहाल करने की बातचीत चल रही है। हाल ही में ओमान के विदेश मंत्री तेहरान पहुंचे और उन्होंने अमेरिकी प्रस्ताव ईरान को सौंपा, जिसमें परमाणु कार्यक्रम सीमित करने के बदले कुछ प्रतिबंध हटाने की पेशकश की गई है।
ईरान ने रिपोर्ट को किया खारिज
ईरान ने IAEA की रिपोर्ट को “गलत और पक्षपातपूर्ण” बताते हुए खारिज कर दिया है। ईरानी विदेश मंत्रालय और परमाणु ऊर्जा संगठन का कहना है कि उनका कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों जैसे बिजली उत्पादन और चिकित्सा सेवाओं के लिए है।
ईरान ने यह भी दोहराया कि देश के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई पहले ही एक फतवे के ज़रिए परमाणु हथियारों को इस्लाम के खिलाफ बता चुके हैं।
इजराइल और पश्चिमी देशों की चिंता
IAEA की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए इजराइल ने कहा कि यह स्पष्ट संकेत है कि ईरान परमाणु हथियार बनाने की तैयारी में जुटा है। इजराइल ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस प्रक्रिया को रोकने की अपील की है।
पुराने गुप्त स्थलों पर सहयोग नहीं: IAEA
IAEA ने अपनी दूसरी रिपोर्ट में बताया कि ईरान कुछ पुरानी साइट्स जैसे तुर्कुजाबाद, वरामिन और मरीवान पर जांच में सहयोग नहीं कर रहा है, जहां पहले बिना जानकारी के यूरेनियम के अंश पाए गए थे। एक चौथी साइट, लाविसान-शियान को ईरान ने 2003 के बाद पूरी तरह ध्वस्त कर दिया था।
वैश्विक परमाणु स्थिति
स्वीडन स्थित थिंक टैंक SIPRI के अनुसार, दुनिया में 90% से अधिक परमाणु हथियार रूस और अमेरिका के पास हैं। कुल 3904 हथियारों को मिसाइलों या एयरक्राफ्ट में तैनात किया जा चुका है। भारत, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया भी परमाणु क्षमता के विस्तार में लगे हैं।